उत्तराखंड

प्रदेश में आयुर्वेद को बढ़ावा दिये जाने को विशेषज्ञों के सुझाव लिए

देहरादून। सचिवालय में सचिव, आयुष एवं आयुष शिक्षा, उत्तराखण्ड शासन द्वारा प्रदेश में आयुर्वेद को बढावा दिये जाने हेतु देश भर के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों से सुझाव लिये जाने हेतु वृहत बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में देश भर से 40 से अधिक प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक शिक्षाविदों, विशेषज्ञों तथा चिकित्सकों द्वारा प्रतिभाग किया गया, जिनमें प्रोफेसर अभिमन्यु कुमार, पूर्व वाईस चांसलर, राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, प्रो० पी०के० प्रजापति, कुलपति राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, प्रो० अरुण कुमार त्रिपाठी, कुलपति, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, प्रो० संजीव शर्मा, कुलपति, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर, प्रो० महेश व्यास, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली, प्रो० आर०एन० आचार्य, महानिदेशक, सी०सी०आर०ए०एस, प्रो० राकेश शर्मा, प्रो० बी०आर० रामाकृष्णन, प्रो० संजीव सूद, प्रो० यू०एस० निगम, डॉ० संजीव ओझा, डॉ० जे०एन० नौटियाल, डॉ० पूजा भारद्वाज, डॉ० प्रदीप भारद्वाज, प्रो० विनोद उपाध्याय, प्रो० जी०एस० तोमर, प्रो० एस०के० तिवारी, डॉ० वाई०एस० मलिक, प्रो० एच०एम० चन्दोला, प्रो० गिरीराज गर्ग, प्रो० अजय गुप्ता, प्रो० डी०सी० सिंह, प्रो० आर०बी० सती, प्रो० पंकज शर्मा, डॉ० अश्विनी कॉम्बोज, डॉ० महेन्द्र राणा आदि ने अपने बहुमूल्य सुझाव दिये। बैठक की अध्यक्षता आयुष सचिव डॉ० पंकज कुमार पाण्डेय द्वारा की गयी व उनके द्वारा बैठक के प्रारम्भ में सभी प्रतिभागियों को अवगत कराया गया कि प्रदेश सरकार का उद्देश्य उत्तराखण्ड को वैश्विक पटल पर श्रेष्ठ आयुष गन्तव्य के रूप में स्थापित करना है तथा सरकार आयुष से जुडे प्रत्येक हित धारक को साथ लेकर आगे बढ़ेगी।
बैठक में उपस्थित विशेषज्ञों द्वारा मुख्य रूप से प्रदेश में क्लस्टर आधारित आयुष जड़ी बूटियों की खेती को बढ़ावा दिये जाने, प्रदेश में पूर्व से स्थापित राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसियों को उच्वीकृत किये जाने, आयुर्वेद योग को पर्यटन से जोडे जाने, राज्य में आयुर्वेद सम्बन्धी रिसर्च संस्थान तथा रिसर्च लैब की स्थापना किये जाने, आयुष शिक्षा गतिविधियों को स्किल इंडिया के साथ जोडे जाने, निजी आयुर्वेदिक शिक्षण संस्थानों में उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षण ध् प्रशिक्षण प्रदान किये जाने तथा उत्तराखण्ड में आयुर्वेद के पारम्परिक ज्ञान को संकलित व संरक्षित किये जाने सम्बन्धी सुझाव दिये गये। प्रो० अभिमन्यु कुमार द्वारा विश्वविद्यालय के माध्यम से रिसर्च प्रोटोकॉल तैयार कराते हुए चिकित्सालयों को उसके अनुरूप रिसर्च व डेटा संकलित किये जाने का सुझाव दिया गया। उनके द्वारा कहा गया की आयुर्वेद को पर्यटन के साथ जोड़ा जाना अति आवश्यक है उनके द्वारा सुझाव दिया गया कि उत्तराखण्ड में वेलनेस पर्यटक को लिये हर्बल ट्रैकिंग रूट विकसित किये जा सकते है।
प्रो०पी०के० प्रजापति द्वारा राजकीय चिकित्सालयों को उच्चीकृत करते हुए कार्मिकों को सम्यक प्रशिक्षण कराकर प्रत्येक उपलब्ध चिकित्सा उपकरणों का उपयोग किये जाने का सुझाव दिया गया। साथ ही उनके द्वारा चिकित्सालयों में क्षार सूत्र व पंचकर्म चिकित्सा का व्यापक उपयोग किये जाने तथा वन विभाग तथा स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर जड़ी बूटियों की कृषि को बढ़ावा दिये जाने का भी सुझाव दिया गया।
प्रो० संजीव शर्मा द्वारा विशेषज्ञ चिकित्सकों का अधिकाधिक उपयोग किये जाने तथा एन०ए०बी०एच० प्रमाणन को अनिवार्य किये जाने व आयुष के सुपर स्पेशलिटी केंद्र प्रदेश में स्थापित किये जाने का सुझाव दिया गया तथा आयुष चिकित्सा पद्धतियों के परिणामों को अधिकाधिक मात्रा में संकलित करते हुए प्रकाशित करने का सुझाव दिया गया। साथ ही उनके  द्वारा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किये जाने हेतु नियमित शिक्षकों की नियुक्ति किये जाने तथा आयुष उद्योग व आयुष शिक्षा को एक साथ कदम ताल करते हुये चलने पर बल दिया गया। उनके द्वारा निजी महाविद्यालयों की गुणवत्ता पर सुधार किये जाने हेतु उनकी कठोर निगरानी किये जाने पर जोर दिया गया।

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