प्रसूता की मौत के बाद हंगामा, लापरवाही का आरोप, हॉस्पिटल सील

काशीपुर। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के सीमावर्ती क्षेत्र अलीगंज बुरहानपुर के ग्राम मुंझरपुरी के रहने वाले सरजीत अपनी पत्नी रेनू को प्रसव के लिए काशीपुर के सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे थे। परिजनों ने बताया कि, किन्हीं कारणों से सरकारी अस्पताल प्रशासन ने उन्हें कहीं और ले जाने को कहा गया। लेकिन तभी उन्हें एक आशा सेविका मिली, जो कि दोपहर करीब तीन बजे उन्हें अलीगंज रोड स्थित निजी अस्पताल लेकर गई। रेनू के परिजनों के मुताबिक, निजी हॉस्पिटल की महिला चिकित्सक ने उन्हें साधारण प्रसव की बात कही। लेकिन अगले दिन यानी 26 सितंबर की सुबह पांच बजे बड़ा ऑपरेशन कर बेटे का जन्म हुआ। लेकिन कुछ देर बाद ही लगातार ब्लीडिंग के कारण रेनू की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि रेनू की मौत के बाद सुनियोजित तरीके से हॉस्पिटल संचालकों ने इन्हें अन्य अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। जिसके बाद दो अस्पतालों में ले जाने पर वहां रेनू को मृत घोषित कर दिया गया। रेनू के परिजन उसका शव लेकर दोबारा काशीपुर निजी हॉस्पिटल पहुंचे और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
सूचना मिलते ही नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमरजीत सिंह साहनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने बताया कि भर्ती करने के बाद प्रसूता की देखभाल के लिए कोई भी स्टाफ नहीं था। ऑपरेशन के बाद उसे आंतरिक ब्लीडिंग होने लगी, जिससे उसकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व भी यह हॉस्पिटल किसी अन्य नाम से रजिस्टर्ड था। उस दौरान भी लगातार शिकायत के बाद अस्पताल को सील किया था। लेकिन सीएमएस बदलने के साथ ही हॉस्पिटल संचालकों ने हॉस्पिटल को अन्य नाम से रजिस्टर्ड कराकर खोल दिया।
वहीं अब जांच में सामने आया है कि इनका लाइसेंस केवल एलोपैथी के नाम से है। यह केवल मरीजों को देख सकते हैं। लेकिन मरीजों को भर्ती नहीं कर सकते हैं। लेकिन इस हॉस्पिटल में मरीजों को भर्ती करने के अलावा सर्जन और महिला चिकित्सक के द्वारा ऑपरेशन भी किए जा रहे हैं। इस संबंध में अधिकारियों से बात करने के बाद रजिस्ट्रेशन निरस्त करके इसे सील करने की कार्रवाई की गई है। संचालकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए विभाग से कागजी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। वहीं संबंधित आशा सेविका के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए विभाग से पत्राचार किया जा रहा है।